भोपाल: मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने किया केरल फेस्ट 2025 का उद्घाटन…

भोपाल, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता मे मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने बिट्टन मार्केट दशहरा ग्राउंड में किया चार दिवसीय केरल फेस्ट 2025 का उद्घाटन, राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि केरल फेस्ट 2025 केवल एक महोत्सव नहीं, बल्कि परंपराओं का उत्सव है, जिसमें केरल की सांस्कृतिक विरासत मध्यप्रदेश की स्थानीय संस्कृति के साथ सहज रूप से मिलती है। यह दर्शाता है कि विविध समुदाय सह-अस्तित्व में रहते हुए राष्ट्रीय एकता को सशक्त बनाते हैं।
यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन के अध्यक्ष ओ.डी. जोसेफ ने मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने महोत्सव को सामुदायिक एकता और संगठन की 41 वर्षों की सेवा, सामाजिक कल्याण तथा सांस्कृतिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया। उन्होने बताया यह महोत्सव केरल की समृद्ध कला, संस्कृति और व्यंजनों का जीवंत उत्सव है, कार्यक्रम का उद्देश्य सांस्कृतिक सौहार्द बढ़ाना, केरल और मध्यप्रदेश के बीच सामूहिक जुड़ाव को मजबूत करना और भारत की विविधता एवं एकता का उत्सव मनाना है, जो “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना का सजीव प्रतीक है।
कार्यक्रम मे सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग, भारतीय स्टेट बैंक, मध्यप्रदेश के मुख्य महाप्रबंधक प्रवास कुमार सुबुधि, श्रीमती सी. सरस्वती, मुख्य महाप्रबंधक, NABARD, और श्री जॉन किंग्सली, सचिव, जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, मध्यप्रदेश शासन विशेष रूप से उपस्थित थे.
महोत्सव के प्रथम दिवस थिरुवातिराकली का भव्य प्रदर्शन हुआ, जिसमें भोपाल की 100 से अधिक महिला कलाकारो ने भाग लिया, पारंपरिक मुण्डु नेरियथु और चमेली के फूलों से सजी जटाओं में प्रस्तुत यह नृत्य केरल की शास्त्रीय सुंदरता, भक्ति, स्त्री-शक्ति और एकता का जीवंत चित्रण करता है।
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त प्राचीन अनुष्ठानिक नृत्य-नाट्य मुडियेट्टू, देवी भद्रकाली को समर्पित, केरल के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस रंगारंग प्रस्तुति में नृत्य, संगीत, चित्रकला और नाट्य का अद्भुत मिश्रण था, जिसमें देवी भद्रकाली और राक्षस दारिका के पौराणिक युद्ध का चित्रण किया गया, जो अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक बना। साथ ही केरल के लोकनृत्य भी प्रदर्शित किए गए, जिनमें राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं, जीवंत वेशभूषा और तालबद्ध संगीत की झलक दिखाई गई, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्राचीन मार्शल आर्ट कलारिपयट्टु के कलाकारों ने शारीरिक दक्षता, शस्त्र प्रवीणता और मानसिक एकाग्रता का शानदार प्रदर्शन किया, जिससे शरीर, मन और आत्मा के आदर्श संतुलन को प्रदर्शित किया गया।
महोत्सव में फूड और हैंडीक्राफ्ट फेयर का आयोजन भी किया गया। आगंतुकों ने केले के पत्तों में परोसी जाने वाली साद्या, अप्पम विद स्टू, पुट्टू और कडाला करी सहित विविध पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लिया। हैंडलूम, नारियल उत्पाद, आभूषण और आयुर्वेदिक वस्तुएँ भी प्रदर्शित की गईं। नाबार्ड द्वारा समर्थित सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs) ने अपने हस्तनिर्मित उत्पाद और स्थानीय नवाचार प्रदर्शित किए, जिससे सतत आजीविका और महिला उद्यमिता को बढ़ावा मिला।
www.mtpnews.in


